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जानिए कब होगी आपकी शादी: ज्योतिष का विस्तृत विश्लेषण

ज्योतिष शास्त्र सदियों से लोगों को उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान करता रहा है। विवाह, जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, और ज्योतिष इसका सटीक अनुमान लगाने में मदद कर सकता है।

विवाह योग: कुंडली में क्या कहते हैं ग्रह?

  • सप्तम भाव: यह भाव विवाह का घर माना जाता है। इस भाव में स्थित ग्रह, राशियाँ और उनके आपसी संबंध विवाह के समय और प्रकार के बारे में संकेत देते हैं।
  • शुक्र ग्रह: इसे प्रेम और विवाह का कारक माना जाता है। शुक्र की स्थिति और अन्य ग्रहों के साथ इसका संबंध विवाह में होने वाली देरी या शीघ्रता को दर्शाता है।
  • मंगल ग्रह: मंगल विवाह में बाधाएं उत्पन्न कर सकता है। यदि मंगल सप्तम भाव या शुक्र से अशुभ संबंध रखता है, तो विवाह में देरी हो सकती है।
  • गुरु ग्रह: गुरु विवाह के लिए शुभ माना जाता है। गुरु की दृष्टि या युति विवाह में सफलता दिलाती है।
  • चंद्रमा: चंद्रमा मन को दर्शाता है। चंद्रमा की स्थिति भावुकता, लगाव और विवाह के प्रति दृष्टिकोण को प्रभावित करती है।

विवाह में देरी के कुछ सामान्य कारण

  • कुंडली दोष: पितृ दोष, कालसर्प दोष जैसे दोष विवाह में देरी का कारण बन सकते हैं।
  • ग्रहों की दशा: शनि की साढ़े साती, राहु-केतु की दशा जैसी दशाएं विवाह में बाधाएं उत्पन्न कर सकती हैं।
  • अशुभ ग्रहों का प्रभाव: यदि सप्तम भाव में शनि, राहु या केतु जैसे अशुभ ग्रह स्थित हों तो विवाह में देरी हो सकती है।

विवाह के योग कब बनते हैं?

  • विवाह योग: कुंडली में जब सप्तम भाव और उसका स्वामी मजबूत होता है, शुक्र और गुरु शुभ स्थिति में होते हैं, तब विवाह योग बनता है।
  • गोचर: गोचर यानी ग्रहों की चाल भी विवाह को प्रभावित करती है। जब शुभ ग्रह सप्तम भाव में गोचर करते हैं तो विवाह के योग बनते हैं।

विवाह में सफलता के लिए उपाय

  • मंत्र जाप: विष्णु, लक्ष्मी, पार्वती आदि देवताओं के मंत्रों का जाप करने से विवाह में सफलता मिलती है।
  • दान: गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि दान करने से भी विवाह में सफलता मिलती है।
  • पूजा-पाठ: नियमित रूप से पूजा-पाठ करने से मन शांत होता है और विवाह के योग बनते हैं।
  • ज्योतिषीय उपचार: ज्योतिषी के बताए गए उपायों को करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

उदाहरण के लिए: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सप्तम भाव में शनि स्थित है और शुक्र कमजोर है तो विवाह में देरी हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति को शनि और शुक्र को प्रसन्न करने के लिए उपाय करने चाहिए।

ध्यान रखें: ज्योतिष केवल एक मार्गदर्शन है। विवाह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई कारक शामिल होते हैं। ज्योतिष के साथ-साथ व्यक्ति के प्रयास और भाग्य भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

निष्कर्ष: ज्योतिष के माध्यम से हम अपनी कुंडली में विवाह योग का विश्लेषण कर सकते हैं और विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के उपाय कर सकते हैं। लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष केवल एक उपकरण है, और अंतिम निर्णय हमें स्वयं लेना होता है।

अधिक जानकारी के लिए आप किसी योग्य ज्योतिषी से संपर्क कर सकते हैं।

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